फ़रवरी 2024

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मकरोनिया स्थित रिलायंस मॉल में बिक्री के लिए उपलब्ध बासमती चावल के गुणवत्ता हीन होने की शिकायत मिलने पर जिला खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा रिलायंस मॉल से बासमती चावल का नमूना लिया गया। 

खाद्य सुरक्षा विभाग अधिकारी के मुताबिक मिलावटी खाद्य पदार्थों की विक्रय की जांच के लिए जिले भर में चलाये जा रहे अभियान के तहत कटरा स्थित डेयरी से दूध के नमूने एवं गोल्डन होम इंडस्ट्रीज से मिर्ची ,धनिया, सेंधा नमक, हल्दी आदि के नमूने जाच के लिए गए हैं। 

वहीं ग्रामीण क्षेत्र नरयावली से भी प्रतीक किराना से घी ,साहू किराना से बेसन के नमूने जांच हेतु लिए गए। इसी सिल्सिल में विभाग ने सभी खाद्य कारोबारियों से  अपने -अपने प्रतिष्ठानों  सीलिंग की कार्यवाही से बचने के जरूरी दस्तावेज अपडेट रखने के लिए कहा गया है। 

दूध डेरी,  किराना दुकान , मसाला इंडस्ट्रीज पर निरीक्षण कर एफएसएसएआई की गाइडलाइन के तहत निर्देश दिए जा रहे हैं एवं शंका के आधार पर नमूने संग्रहित कर  जाच करहेतु प्रयोगशाला भेजे जा रहे हैं ।

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/ निवेशकों के आर्थिक हितों को सुरक्षित करने के लिए सेबी लगातार कार्य कर रही है। सेबी के अभिषेक खंडेलवाल ने ये विचार  कलेक्टर कार्यालय  के मुख्य परिसर में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) एवं नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के तत्वाधान में संयुक्त रूप से आयोजित निवेशक जागरूकता पर एक कार्यक्रम में  व्यक्त किये।
 
सेमिनार में कलेक्टर कार्यालय के सभी वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। सेमिनार को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य निवेशकों के हित के लिए सेबी द्वारा उठाए गए कदमों को बताना एवं साथ ही साथ सही वित्तीय योजना बनाते हुए प्रतिभूतियों के बारे में लोगों को अवगत कराना था।
 
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अभिषेक खंडेलवाल ने जीवन के विभिन्न चरणों में बचत के विभिन्न तरीकों के साथ साथ निवेश के तरीकों के विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने ये भी बताया कि सेबी के द्वारा निवेशकों के हितों का ध्यान रखते हुए नए दिशा-निर्देश बनाए जा रहे हैं। 
 
उन्होंने ये भी बताया कि प्रतिभूति बाजार में किसी भी मध्यस्थ जैसे एजेंट, दलाल, कंपनी, मर्चेंट बैंकर आदि द्वारा निवेशकों से धोखाधड़ी किये जाने पर सेबी ने बहुत ठोस कदम उठाए हैं। 

निवेशक स्कोर्स की वेबसाइट पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। सेबी के द्वारा हाल ही में सारथी एप भी जारी किया गया है। जिसे डाउनलोड करके निवेशक सुरक्षित निवेश कर सकते हैं।
 

भारत एक विकासशील देश के रूप में निरंतर आगे बढ़ रहा है। निर्यात, कृषि, एम् एस एम् ई, स्टार्ट अप जैसे कई क्षेत्रों में देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत हो रही है। 

यही सही समय है कि जब लोगों को प्रतिभूति बाजार के विषय में विस्तार से जानकारी मिले, ताकि लोग अपने हितों का ध्यान रखते हुए सही एवं सुरक्षित निवेश के तरीके की समझ सके और एक बेहतर वित्तीय प्रबंधन की ओर अग्रसर हो।
 
द्वितीय सत्र में नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के श्री ओंकार आप्टे शेयर बाजार में स्टॉक एक्सचेंज की भूमिका के विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में किस प्रकार से कंपनियों की रैंकिंग के आधार पर अंशो को सूचीबद्ध किया जाता है।

 निवेशकों को निवेश करने से पूर्व कंपनी की बैलेंस-शीट, पिछले वर्षों के प्रदर्शन एवं सेबी के मापदंडों को ध्यान में रखते हुए पंजीकृत एजेंट के द्वारा ही निवेश करना चाहिए।

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मप्र में  वर्ष 2019 से पहले  के पंजीकृत वाहनों  पर हाई सिक्यूरिटी नंबर प्लेट लगवाने की अंतिम तारिख 15 जनवरी  2024 को समाप्त हो चुकी है । बहुत से वाहन मालिक अपने वाहनों पर नए नंबर प्लेट लगवा चुके हैं और  
हाई सिक्यूरिटी नंबर प्लेट (HSRP) लगवाने का सिलसिला अभी जारी है । 

लेकिन इस अभियान में वाहन डीलर वहां चालकों से  हाई सिक्यूरिटी नंबर प्लेट (HSRP) लगवाने की पूरी कीमत ऑनलाइन वसूलने के बावजूद एजेंसी पर वहां  मालिकों से अतिरिक्त पैसा वसूलने के लिए नए नए हथकंडे अपना रहे हैं जिसे वाहन मालिकों और एजेंसी के कर्मचारियों के बीच विवाद की स्थितियां बन रहीं हैंl

बताया जा रहा है की वाहन एजेंसी पर हाई सिक्यूरिटी नंबर प्लेट (HSRP) लगवाने पहुँच रहे हैं तो एजेंसी के कर्मचारी तकनीकी दिक्कत बताकर कहते हैं कि  गाड़ी मालिक को नंबर प्लेट लगवाने के लिए एक फ्रेम खरीदने के लिए दवाब बनाते हैं। इस फ्रेम पर प्रचार-प्रसार के लिहाज से उस वाहन एजेंसी का नाम पता  लिखा होता है और उस फ्रेम के लिए वाहन मालिक से अतिरिक शुल्क भी माँगा जा रहा है

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इस मामले में वाहन मालिकों का तर्क है कि जब नंबर प्लेट बेचने वाली कंपनी नंबर प्लेट और उसके लगवाने की कीमत ऑनलाइन पहले ही वसूल चुकी है तो एजेंसी पर अतिरिक्त शुल्क माँगना गलत है
। अगर हाई सिक्यूरिटी नंबर प्लेट (HSRP) जब की फिटिंग के लिए किसी फ्रेम की जरूरत भी है तो उस पर कंपनी के नाम का प्रचार- प्रसार नहीं होना चाहिए । 

उपभोक्ता अदालतें पहले ही कई मामलों में एजेंसी व् माल संचालकों पर जुर्माना लगा चुकीं हैं कि  कंपनियां अपने नाम या ब्रांड छपे झोले सामग्री कीमत वसूलकर नहीं दे सकतीं  हैं । वे  बिना नाम या ब्रांड का प्रचार नाम या तस्वीर वाले फ्रेम या झोले बेच सकतीं हैं .। 

इस मामले को लेकर कई वाहन मालिक ने उपभोक्ता अदालतों का द्वार खटखटाया है